Poot Anokho Jayo by Narendra Kohli
स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर किसी भी भाषा में लिखे गए उपन्यासांे में सर्वश्रेष्ठ!भारतमाता ने अनेक अनोखे पुत्रों को जन्म दिया है। वे अपने कर्म - बंधन में बंध कर नहीं, संसार को एक संदेश देने के लिए आए थे। स्वामी विवेकानन्द उन सब में विरले हैेें। वे स्वयंसिद्ध हैं। यह उन्होंने अपने समय में ही साबित कर दिया था। स्वामी विवेकानन्द ने कहा कि हिंद महासागर के तल का सारा कीचड़ यदि अंग्रेज़ों के मुंह पर मल दिया जाए, तो भी वह कम होगा। उन्होंने उससे कहीं अधिक मेरी मां को कलंकित किया है। मां के सम्मान की रक्षा के लिए, अपने देश से सहस्रों योजन दूर, शब्दों के माध्यम से एक महासंग्राम छेड़ने वाले योद्धा के जीवन पर लिखा गया एक अद्भुत उपन्यास, जिसमें लेखक का अपने नायक से अविस्मरणीय तादात्म्य हुआ है।
आइए, पढ़ें सदी के सर्वाधिक विख्यात योद्धा संन्यासी की महागाथा। आज के सर्वाधिक लोकप्रिय कथा - शिल्पी नरेन्द्र कोहली के लिए कथा - सजृन एक मिशन है, जिसके प्रति समर्पित भाव से वे निरंतर रचनारत हैं। उनकी मिथकीय कथा - परम्परा ने उन्हें सबसे अलग और विशिष्ट स्थान दिलवाया। इसीलिए वे भारतीय भाषाओं की उपन्यास - यात्रा में अपने को मील के पत्थर की तरह स्थापित कर पाए हैं। उनकी उपन्यास शृंखलाएं वास्तव में दस्तावेजों से कम नहीं हैं।
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Sharanam (Upanyas) By Narendra Kohli
शरणम् - नरेंद्र कोहली
नरेन्द्र कोहली का जन्म 6 जनवरी 1940, सियालकोट ( अब पाकिस्तान ) में हुआ । दिल्ली विश्वविद्यालय से 1963 में एम.ए. और 1970 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की । शुरू में पीजीडीएवी कॉलेज में कार्यरत फिर 1965 से मोतीलाल नेहरू कॉलेज में । बचपन से ही लेखन की ओर रुझान और प्रकाशन किंतु नियमित रूप से 1960 से लेखन । 1995 में सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्ण कालिक स्वतंत्र लेखन। कहानी¸ उपन्यास¸ नाटक और व्यंग्य सभी विधाओं में अभी तक उनकी लगभग सौ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उनकी जैसी प्रयोगशीलता¸ विविधता और प्रखरता कहीं और देखने को नहीं मिलती। उन्होंने इतिहास और पुराण की कहानियों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखा है और बेहतरीन रचनाएँ लिखी हैं। महाभारत की कथा को अपने उपन्यास "महासमर" में समाहित किया है ।
सन 1988 में महासमर का प्रथम संस्करण 'बंधन' वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ था । महासमर प्रकाशन के दो दशक पूरे होने पर इसका भव्य संस्करण नौ खण्डों में प्रकाशित किया है । प्रत्येक भाग महाभारत की घटनाओं की समुचित व्याख्या करता है। इससे पहले महासमर आठ खण्डों में ( बंधन, अधिकार, कर्म, धर्म, अंतराल,प्रच्छन्न, प्रत्यक्ष, निर्बन्ध) था, इसके बाद वर्ष 2010 में भव्य संस्करण के अवसर पर महासमर आनुषंगिक (खंड-नौ) प्रकाशित हुआ । महासमर भव्य संस्करण के अंतर्गत ' नरेंद्र कोहली के उपन्यास (बंधन, अधिकार, कर्म, धर्म, अंतराल,प्रच्छन्न, प्रत्यक्ष, निर्बन्ध,आनुषंगिक) प्रकाशित हैं । महासमर में 'मत्स्यगन्धा', 'सैरंध्री' और 'हिडिम्बा' के बारे में वर्णन है, लेकिन स्त्री के त्याग को हमारा पुरुष समाज भूल जाता है।जरूरत है पौराणिक कहानियों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समझा जाये। इसी महासमर के अंतर्गततीन उपन्यास 'मत्स्यगन्धा', 'सैरंध्री' और 'हिडिम्बा' हैं जो स्त्री वैमर्शिक दृष्टिकोण से लिखे गये हैं ।
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तोड़ो, कारा तोड़ो - नरेन्द्र कोहली
पिछले दस वर्षों में लोकप्रियता के नए कीर्तिमान स्थापित करने वाली रचना तोड़ो, कारा तोड़ो नरेन्द्र कोहली की नवीनतम उपन्यास-श्रृंखला है। यह शीर्षक रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गीत की एक पंक्ति का अनुवाद है। किंतु उपन्यास का संबंध स्वामी विवेकानन्द की गाथा से है। स्वामी विवेकानन्द का जीवन बंधनों तथा सीमाओं के अतिक्रमण के लिए सार्थक संघर्ष थाः बंधन चाहे प्रकृति के हों, समाज के हों, राजनीति के हों, धर्म के हों, अध्यात्म के हों।
नरेन्द्र कोहली के ही शब्दों में, ‘‘स्वामी विवेकानन्द के व्यक्तित्व का आकर्षण...आकर्षण नहीं, जादू....जादू जो सिर चढ़कर बोलता है। कोई संवेदनशील व्यक्ति उनके निकट नहीं रह सकता।...और युवा मन तो उत्साह से पागल ही हो जाता है। कौन-सा गुण था, जो स्वामी जी में नहीं था। मानव के चरम विकास की साक्षात् मूर्ति किसी एक युग, प्रदेश संप्रदाय अथवा संगठन के साथ बाँध देना अज्ञान भी है और अन्याय भी।’’ ऐसे स्वामी विवेकानन्द के साथ तादात्म्य किया है नरेन्द्र कोहली ने। उनका यह उपन्यास ऐसा ही तादात्म्य करा देता है, पाठक का उस विभूति से।
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रामकथा – नरेन्द्र कोहली
रामचरित्र पर आधारित यह एक उपन्यास एसा महाकाव्यात्मक मौलिक उपन्यास है, जिसमे अतीत की कथा को वर्तमान संदर्भो में नवीन द्रष्टियुक्त और सजीव कर दिया गया है। इसमे लेखक ने राम के चरित्र और उनके जीवन की घटनाओ के माध्यम से, मानव और उसके बाह्य जगत के सरोकारो को मार्मिक ढंग से मूर्तिमान किया गया है। इस वृहदाकार राम-कथा में सात पड़ाव है। पहले सोपान दीक्षा में सत्य और न्याय पर केन्द्रित नए समाज की स्थापना की गई है। 'अवसर' में अप्रासंगिक हो चुकी रुढिओ का विरोध है। अगले सोपान 'संघर्ष की और' में पीड़ित नारी की मुक्ति, बुढ्ढी जीवियो का सत्ता से अस्वस्थ गठजोड़, तथा दमित समाज के स्वस्थ जागरण तथा संगठन को प्रस्तुत किया गया है। 'साक्षात्कर' में शूपर्णखा के षड्यंत्र, सीताहरण और राजनीति की कुटिलता का वर्णन है। 'युद्ध' में राम-रावण के युध्ध को व्यक्तियो नहीं, विचारो के युध्ध, न्याय-अन्याय के युध्ध के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वृहदाकार महाकाव्यात्मक उपन्यासो के कुशल सर्जक नरेन्द्रकोहली की सशक्त लेखनी से उपजी एक कालजयी कथाकृति।
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