यंत्र शक्ति और साधना
यंत्र शक्ति और साधना यंत्र विज्ञान को लेकर लिखी गई पहली पुस्तक है। जिसमें यंत्र विज्ञान की सार्थकता व सत्यता को लेकर व्यापक प्रकाश डाला गया है। पुस्तक के प्रारंभ में यंत्र की परिभाषा, यंत्र लेखन के नियम यंत्रों की महिमा एवं विशेषता के बारे में प्रकाश डालते हुए विद्वान लेखक ने सारगर्भित सामग्री प्रस्तुत की है। आर्थिक युग में सबको लक्ष्मी की आवश्यकता रहती है। लक्ष्मी प्राप्ति हेतु श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र एवं कर्जनाशक मंगल यंत्र विशेष रूप से उल्लेखनीय है। नवग्रह यंत्र साधना एवं रत्न जड़ित लक्ष्मी यंत्र, गजकेशसरी यंत्र के द्वारा लेखक के व्यावहारिक ज्योतिष ज्ञान का पता भी सजह चल जाता है। बगुला यंत्र नागपास यंत्र मारुती यंल् एवं पागड़े जीत जैसे अतयन्त प्राचीन यंत्रों को नवीन उपलब्धि व सार्थकता के साथ प्रस्तुत करके एक नया शोध व चिंतन प्रबुद्ध पाठकों हेतु प्रस्तुत किया गया है।
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तंत्र शक्ति और साधना
‘तंत्र’ एक चमत्कारी, प्रत्यक्ष सिद्ध एवं रहस्यमय विद्या है। जिसने इसको जितना समझ, उसने उतना ही अलौकिक शक्ति के इस सान्निध्य को पहचाना औरप्राप्त किया। मनुष्य जीवन अदृश्य–शक्तियों के महासमुद्र से घिरा हुआ है वह प्रतिदिन चमत्कार देखता है और इन चमत्कारों की गहराई तक उतरना भी चाहता है। जड़ व चेतन, स्थूल व सूक्ष्म, भौतिक व आध्यात्मिक के विभिन्न आयामों में यह सारा संसार विभाजित है। इस पुस्तक में तंत्र की विस्तृत परिभाषा, उसके भेद के पश्चात् तंत्रशास्त्र में चमकारों के सही रहस्य को मैंने समझाने की चेष्टा की है। प्रेतात्माओं के अस्तित्व के देश व विदेशों में प्रचलित धारणाओं को स्पष्ट किया है। तंत्र विद्या और षट्कर्म पर प्रकाश डालते हुए दीक्षा के बिना मंत्र सिद्ध नहीं होते, इस बात को उदाहरणपूर्वक बतलाया गया है तंत्रोक्त दस महाविद्या पर प्रमाणिक साहित्य प्रस्तुत करने की भी मेरी चेष्टा रही है। इस संदर्भ में मूल सामग्री की आवधारणा में ‘शक्तप्रमोद’ एवं कल्याण के ‘शक्ति अंक’ का सहयोग रहा है। कुछ सच्चे दृष्टांत ‘अलौकिक रहस्य’ नामक पुस्तक से संग्रहित हैं। अत उनका भी आभार प्रदर्शित करता हूं। श्मशान साधना की गूढ़ सिद्धि का दिग्दर्शन करते हुये शाबरमंत्रों की विशिष्टता समझाई है। और इस संदर्भ में गोरखनाथ के दो सिद्ध मंत्र भी दिये हैं। पारद की महिमा को परिलक्षित करते हुए पारदेश्वर की साधना पहली बार प्रकट हुई है।
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अनुभूत यंत्र-मंत्र-तंत्र और टोटके
विश्व में जितनी भी मानव सभ्यताएं हैं वे किसी-न-किसी रूप में यंत्र-मंत्र-तंत्र, तावीज, तिलस्म व टोटकों में अपने-अपने ढंग से आस्था एवं विश्वास रखती हैं। बीमारी, प्राकृतिक प्रकोप, बुरी आत्मा या किसी के द्वारा किये गये जादू, टोने-टोटके को दूर करने के लिए अक्सर लोग तावीज, (यंत्र) या तो गले में पहनते हैं या फिर भुजा में धारण करते हैं। जंत्र ‘यंत्र’ का ही अपभ्रंश स्वरूप है। पंजाबी बोलचाल की भाषा में मंत्र को ‘मंतर’ एवं जंत्र को ‘जंतर’ कहते हैं। इसी यंत्र को उर्दू या मुस्लिम बोल-चाल की भाषा में ‘तावीज’ कहते हैं। यंत्र मंत्ररूप है, मंत्र देवताओं का ही विग्रह हैं जिस प्रकार शरीर और आत्मा में कोई भेद नहीं होता, उसी प्रकार यंत्र और देवता में भी कोई भेद नहीं होता है।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुशास्त्री एवं ज्योतिषाचार्य डॉ. भोजराज द्विवेदी कालजयी समय के अनमोल हस्ताक्षर हैं। इन्टरनेशनल वास्तु एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. भोजराज द्विवेदी की यशस्वी लेखनी से रचित ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंक विद्या, आकृति विज्ञान, यंत्र-मंत्र-तंत्र विज्ञान, कर्म कांड व पौरोहित्य पर लगभग 400 से अधिक पुस्तकें देश-विदेश की अनेक भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
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अंकों का अद्भुत संसार
मनुष्य जन्म के साथ ही अंकों व संख्याओं से जूझना आरंभ कर देता है। सत्य भी है कि मानव जीवन में अंकों का विशेष महत्व है, जिसे आधुनिक विज्ञान ने भी सत्यापित किया है। इस क्षेत्र में प्राचीन मिस्र की सभ्यता का बहुत बड़ा योगदान है, जो आज पूरे विश्व में अपना लोहा मनवा रही है।
प्रस्तुत पुस्तक अंकों के इन्हीं प्रभावों तथा रहस्यों को मिस्र व हमारी सभ्यता के अनुसार सरल व प्रभावी रूप से प्रकट करती है। अंकों के मानवीकृत रूप को प्रस्तुत पुस्तक में पहली बार प्रस्तुत किया है। अंकों की अन्तर्राष्ट्रीय मान्यताओं का भी सुन्दर प्रस्तुतीकरण देखने को मिलता है, जो कि न केवल दैनिक जीवन के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक है, अपितु प्रयोजन विशेष के लिए भी अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होते हैं।
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कालसर्प योग शांति और घाट विवाह पर शोधकार्य
फलित ज्योतिष में कालसर्प योग को गंभीर रूप से मृत्युकारी माना गया है। सामान्यत जन्म कुंडली में जब सारे ग्रह राहु केतु के बीच कैद हो जाते हैं तो काल सर्पयोग की स्थिति बनती है। जो मृत्यु कारक है या दूसरे ग्रहों के सुप्रभाव से मृत्यु न हो तो मृत्युतुल्य कष्टों का कारण बनती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु सर्प का मुख है और केतु सर्प की पूंछ। ग्रहों की स्थतियों के अनुसार कुल 62208 प्रकार के कालसर्प योग गिने जाते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में पंडित भोजराज द्विवेदी ने इन विविध कालसर्प योगों के विषय में विस्तार से चर्चा की है और कालसर्प शांति के विषय में भी उपाय बताए हैं। पुस्तक में विशिष्ट स्थितियों को दर्शाती हुई अनेकों महान विभूतियों की कुंडलियां भी दी गई है, जिनकी जीवन परिणति सर्वविदित है।
भोजराज द्विवेदी द्वारा विचरित 'कालसर्प योग शांति एवं घट-विवाह पर शोधकार्य' शीर्षक पुस्तक का यह नवीन संस्करण निश्चित रूप से कालसर्पयोग से संबंधित भ्रांतियों को दूर करेगा। सर्पों से मैत्री भाव स्थापित करना, उनकी पूजा से अनंत ऐश्वर्य और मनोवांछित आशीर्वाद प्राप्त करना ही भारतीय संस्कृति की विशेषता है। इस रहस्य को इस पुस्तक में विस्तार से समझाया गया है। प्रबुद्ध पाठकों के अनेक पत्रों में वर्णित समस्याओं तथा शंकाओं से संबंधित कई प्रस्तावना इस नए संस्करण में दी गई हैं इसके साथ कालसर्प योग में जन्में प्रसिद्ध लोगों की कुंडलियों का विश्लेषण भी प्रबुद्ध पाठकों हेतु इस पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। साथ ही कुछ आवश्यक संस्कृत श्लोकों का हिंदी में अनुवाद, अनेक महत्वपूर्ण शंकाओं का हल इस पुस्तक में नई प्राण-शक्ति संचरित कर रहा है।
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